अमेरिका इस वक्त चौतरफा मार झेल रहा है एक ओर अमेरिका में 1 लाख़ से भी अधिक लोग कोरोना से अपनी जान गवा चुके हैं वहीं दूसरी और गृह युद्ध के कारण अरबों डॉलर की संपत्ति तबाह हो चुकी है। अमेरिका पर ट्रॉपिकल तूफानों का भी खतरा बनता जा रहा है जिससे वहां के लोग खौफ में हैं।
इन सभी समस्याओं के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप केवल चीन पर निशाना साधने पर लगे हुए हैं।अमेरिका ने पहले चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए फिर अंतरराष्ट्रीय संघ को चीन पर कोरोना महामारी के लिए जांच करने का दबाव बनाया और अब हांगकांग, वियतनाम और ताइवान को चीन के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं चीन भी अपना पंजा ताइवान पर कसता जा रहा है। इस बीच अगर चीन और अमेरिका के मध्य युद्ध हो जाता है तो अमेरिका को हार का मुंह देखना पड़ सकता है।
आखिर रिपोर्ट में क्या कहा गया

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की रिपोर्ट 2020 के अनुसार अगर एशियाई पैसिफिक क्षेत्र में चीन और अमेरिका के बीच युद्ध होता है, तो अमेरिका ऐसी स्थिति में कमजोर पड़ जाएगा और उसे हार का सामना करना पड़ सकता है। पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर चीन ताइवान पर अपना कब्जा जमा लेता है तो एशियाई क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य अड्डे गुआम द्वीप पर खतरा मंडरा सकता है जो कि अमेरिका के लिए सामरिक तौर पर एक बड़ी चुनौती साबित होगा।
अमेरिका और चीन के बीच हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं हाल ही में अमेरिका ने यह आरोप लगाया है कि चीन ने उसकी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइटों पर रोक लगा दी है जबकि चीन ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है हालांकि चीन में अभी फिलहाल किसी भी तरह की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की इजाजत नहीं दी गई है। अमेरिका ने चीन पर यह भी आरोप लगाए हैं कि वह एशियाई पैसिफिक क्षेत्र में अशांति का सबसे बड़ा कारण है।

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल की ताकत के बारे में बताते हुए चीन को धमकी दी है। बता दें कि, अमेरिका की यह हाइपरसोनिक मिसाइल आवाज से भी 17 गुना तेजी से वार कर सकती है। इसकी इतनी अधिक गति के कारण ही इसे रडार पर पकड़ पाना मुश्किल है।हाइपरसोनिक मिसाइल पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाकर अपने लक्ष्य पर निशाना साधती है हालांकि यह मिसाइल अभी परीक्षण के दौर से गुजर रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है, ऐसी स्थिति में अमेरिकी राष्ट्रपति का परीक्षण के दौर से गुजरने वाली मिसाइल की धमकी देना यह दर्शाता है कि अमेरिका अपनी ताकत नहीं बल्कि डर के कारण ऐसे बयान दे रहा है। हालांकि अमेरिका पर युद्ध की स्थिति में हार का खतरा ज्यादा है ऐसे में अमेरिका को कोशिश करनी चाहिए कि वह चीन पर अन्य तरीकों से दबाव बनाएं।