जब से दुनियाभर में कोरोना महामारी का प्रसार हुआ है तभी से अमेरिका जैसे बड़े देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। इसमें सबसे आगे अमेरिका है जो कोरोना से सबसे ज्यादा ग्रसित है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली सहायता राशि रोक चुके हैं और अब उन्होंने W.H.O. से हटने का निर्णय लिया है। अमेरिका ने यह आरोप लगाए हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन चीन के पक्ष में काम कर रहा है वह केवल चीन के हाथों की कठपुतली बनकर रह गया है। W.H.O. बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने में नाकामयाब रहा है इसलिए अमेरिका ने इस संगठन से हटने का निर्णय लिया है।

अमेरिका ने कहा कि चीन WHO को सालाना 40 मिलियन डॉलर की सहायता राशि देता है जबकि अमेरिका 450 मिलियन डॉलर की सहायता राशि देता है इसके बावजूद भी WHO ने चीन का पक्ष लिया। WHO को कोरोना महामारी की जानकारी दिसंबर महीने में ही हो गई थी फिर भी WHO ने दुनियाभर से इसकी जानकारी को छुपाया है जिससे WHO की भूमिका पर सवाल खड़े होते हैं।
दुनिया भर में 58 लाख से भी ज्यादा लोग इस महामारी से ग्रसित है इसमें लगभग 3 लाख लोग अपनी जान गवा चुके हैं इस कड़ी में सबसे ज्यादा क्षति अमेरिका को पहुंची है जहां 1 लाख से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और मौतों का आंकड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा।
अमेरिका और भारत सहित दुनिया के 12 देशों में कोरोना महामारी ने विकराल रूप धारण कर रखा है जिसका खामियाजा पूरे विश्व को भुगतना पड़ा है।
आर्थिक तंगी से जूझ रहा है विश्व स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से बयान जारी करके कहा गया कि उसका सालाना बजट 2.3 बिलियन डॉलर का है जो कि एक अंतरराष्ट्रीय संस्था होने के हिसाब से काफी कम है उसे और धनराशि की आवश्यकता है पर अमेरिका और उसके दबाव में कई देशों ने अपनी सहायता राशि रोक दी है जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा है।

डब्ल्यूएचओ ने बनाया है एक नया फाउंडेशन
कोरोना महामारी को रोकने में विफल साबित हुए WHO पर लगे आरोपों के बीच WHO ने एक नया फाउंडेशन बनाया है जिसमें वैश्विक महामारी से निपटने के लिए बड़े देशों के अलावा अन्य लोगों से भी फंड जुटाया जा सके। WHO के डायरेक्टर ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि यह एक स्वतंत्र निकाय होगा जिसकी कार्यप्रणाली वर्तमान WHO की कार्यप्रणाली से भिन्न होगी।