एक तरफ़ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है, दूसरी ओर भारत की जीडीपी में उतार चढ़ाव होता हुआ नज़र आ रहा है, आपको बता दें कि अनुमान लगाया जा रहा है की 2021-22 में भारत की जीडीपी में 5-6 फ़ीसदी गिरावट आएगी. दिग्गजों का कहना है भारत की रेटिंग Baa2 थी जबकि ये गीरकर Baa3 तक आ पहुंचा है जोकि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही बुरा समाचार माना जा रहा है और कहां जा रहा है. लेकिन वही दूसरी ओर फिज के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में ग्रोथ 9.5 फीसदी तक हो सकती है.’ न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार बुधवार को फिच रेटिंग्स ने अपने एपीएसी सॉवरेन क्रेडिट ओवरव्यू में कहा, ‘कोरोना के कारण भारत के ग्रोथ आउटलुक तेजी से कमजोर हुआ है.और काफी ऊंचे सार्वजनिक कर्ज के बोझ जैसी चुनौतियां पेश की हैं. लेकिन वैश्विक संकट के बाद भारत की जीडीपी ग्रोथ फिर से ”BBB’ कैटेगरी के देशों की तरह लौट सकती है, बशर्ते कि इसके वित्तीय सेक्टर में महामारी से अब और नुकसान न होने पाए. अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में ग्रोथ 9.5 फीसदी तक हो सकती है.’
इस तरह GDP पर आया परिवर्तन
कोरोना वायरस के कहर को रोकने के लिए 25 मार्च से भारत में लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी. वही इस दौरान आर्थिक गतिविधियां रोक दिया गया था. इस लॉकडाउन से केवल लोगों को ही नहीं बल्कि सरकारी अर्थव्यवस्था में भी काफी चिंता जनक मुद्दे सामने आए थे। वही 4 मई से एक बार फिर सरकार द्वारा गतिविधियों पर ढील दिया जा रहा है. वही लॉकडाउन के खुलने से इकोनॉमी को काफी बल मिला है और कोरोना के बढ़ते केसेज के बावजूद तमाम इंडस्ट्री के पहिये चल पड़े हैं.