राजस्थान भारत की वह भूमि है जहां वीर गाथाएं कोने कोने में सुनाई जाती है। राजस्थान की धरती पर कई वीर पुत्रों ने जन्म लिया जो अपनी प्रजा और मातृभूमि के लिए वीरगति को प्राप्त हुए हैं। इन वीरों का नाम और सम्मान पूरी दुनिया में किया जाता है। ऐसे ही वीरों के बीच गाथा कही जाती है एक महान वीरांगना की जिन्होंने अपने पति को युद्ध के प्रति सजग रहने के लिए खुद अपने हाथों से अपना सर कलम कर दिया था।

आइए, जानते हैं कौन थी वह महान वीरांगना
बात 17वीं शताब्दी की है। उस समय मेवाड़ पर महाराणा राजसिंह का शासन था। सलूंबर के राव चुंडावत रतनसिंह, महाराणा राज सिंह के सामंत थे। रतन सिंह की शादी उस समय हाड़ा राजपूत सरदार की बेटी, हाड़ी रानी से हुई थी।
शादी को कुछ ही दिन हुए थे, हाड़ी रानी की हाथ की तो अभी मेहंदी भी नहीं सुखी थी कि महाराणा राज सिंह का संदेश रतन सिंह को मिलता है जिसमें उन्हें आदेश दिया जाता है कि दिल्ली से औरंगजेब की मदद के लिए आ रही अतिरिक्त सेना को किसी भी हाल में रोका जाए। यह एक बहुत ही मुश्किल भरा आदेश था। रतन सिंह हाड़ी रानी से बहुत प्रेम करते थे परंतु युद्ध पर तो जाना ही था। हाड़ी रानी ने खुद रतन सिंह को युद्ध के लिए तैयार किया और उनकी विजय की कामना करते हुए विदा किया।

रतन सिंह को अपनी रानी से दूर रहना एक पल भी गंवारा न था। रतन सिंह ने संदेशवाहक के जरिए हाड़ी रानी के पास अपना संदेश पहुंचाया और उनका हालचाल जाना पर इसके बाद भी रतन सिंह को संतुष्टि नहीं मिली तो उन्होंने संदेशवाहक को कहा कि रानी जी से संदेशा और उनकी कोई निशानी लेकर आइए।
जब संदेशवाहक हाड़ी रानी के पास दोबारा पहुंचा तो हाड़ी रानी अपने पति रतनसिंह के संदेश को पढ़कर इस सोच में पड़ गई की “युद्ध के समय में अगर पति का मन यहां लगा रहेगा तो विजयश्री कैसे प्राप्त होगी”इस बार हाड़ी रानी ने संदेशवाहक को कहा कि मैं तुम्हें अपना संदेश और अपनी एक आखरी निशानी रतनसिंह के लिए दूंगी। इस बार उन्होंने अपने हाथों से ही अपना शीश काटकर निशानी के तौर पर संदेश वाहक को दे दिया। संदेश वाहक ने हाड़ी रानी द्वारा दिया गया उनका शीश रतन सिंह को दे दिया जिसके बाद रतन सिंह ने उस शीश को अपने गले में टांग कर मुगलों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

अपने प्यार में दिशा भ्रमित हुए पति को कर्तव्य की ओर मोड़ने और एक सैनिक का फर्ज निभाने के लिए रानी द्वारा किया गया यह निर्णय और बलिदान सदा के लिए अमर हो गया। हाड़ी रानी के इस बलिदान को आज भी याद किया जाता है। राजस्थान पुलिस ने एक महिला बटालियन का गठन किया है जिसका नाम हाड़ी रानी महिला बटालियन रखा गया है।